#पाकिस्तान_की_स्थापना । #हिन्दू_सिख_क़त्लेआम ।
मेहरबानी करके पूरी विडियो देखें/सुनें। इस विडियो के कुछ नुक्ते इस प्रकार हैं: –
* पोठोहार और हज़ारा के हिन्दू और सिख अपनी अलग ज़बान और अलग रस्म-ओ-रिवाज की वजह से अपनी अलग पहचान रखते थे। पोठोहार और हज़ारा के हिन्दू, सिख ज़्यादातर अरोड़ा बिरादरी, दूसरी खत्री बिरादरियों, या ब्राह्मण बिरादरी की बैकग्राउण्ड से थे। यह बिरादरियां पोठोहार और हज़ारा के इलावा आज के ख़्यबेर पख्तूनख्वा के कुछ ज़िलों, जैसे कोहाट, पेशावर, नौशेरा, सवाबी, मरदान, पंजाब में ज़िला गुजरात, ज़िला मंडी बहाउद्दीन, और कश्मीर में मीरपुर तक में भी मौजूद थीं।
* वो लोग पोठोहारी बोली बोलते थे। हज़ारा में इसी पोठोहारी को थोड़ा-सा अलग लहज़े में बोलते थे, जिसको हिन्दको कहते हैं। हिन्दको न सिर्फ़ हज़ारा में, बल्कि कोहाट और पेशावर तक भी बोली जाती है। यही बोली मीरपुर के इलाके में मीरपुरी कही जाती है। अफ़ग़ानिस्तान के कुछ हिस्सों के हिन्दू और सिख भी पश्तो या दारी के साथ-साथ हिन्दको भी बोलते थे।
* पोठोहार में बहुत सारे हिन्दू और सिख काफ़ी अमीर थे। वो ज़मीनों के मालिक थे। कई कारख़ानेदार भी थे।
* उनके उस वक़्त के समाज को इण्डियन पंजाब के आज के हिन्दू समाज और सिख समाज के नज़रिये से देखना बहुत बड़ी ग़लती होगी। आज के पंजाब के हिन्दुओं और सिखों के उलट पोठोहार और हज़ारा के हिन्दू और सिख न सिर्फ़ एक ही समाज थे, बल्कि उन हिन्दुओं और सिखों में से ज़्यादातर आपस में रिश्तेदार भी थे। एक ही खानदान में कुछ लोग हिन्दू थे और कुछ लोग सिख। किसी हिन्दू का कोई सगा भाई सिख होना एक आम बात थी।
* अकाली दल के रहनुमा मास्टर तारा सिंघ को अक्सर सिख रहनुमा के तौर पर ही जाना जाता है, लेकिन उनके इलाके में वो हिन्दुओं के भी रहनुमा थे। मास्टर तारा सिंघ ख़ुद पोठोहारी थे। पोठोहार और हज़ारा में वो हिन्दुओं में भी बहुत पॉपुलर थे। मास्टर तारा सिंघ ख़ुद भी हिन्दू माँ-बाप के घर में पैदा हुये थे।
* यह सभी लोग पोठोहार, हज़ारा, पेशावर, सिरायकिस्तान, सिन्ध, यहाँ तक कि अफ़ग़ानिस्तान वग़ैरा के भी मूलनिवासी हैं। ये लोग हज़ारों सालों से इन्ही इलाक़ों में रहते आये थे और कभी इन इलाक़ों में राज करते थे।
* हिन्दूशाही हुकूमत के दौरान ये हिन्दू पोठोहार में बहुत ताक़तवर थे। कटासराज तीर्थ का आजकल का मन्दिर हिन्दूशाही हुकूमत में ही बना था।
* जो लोग मेरी बातों की तस्दीक़ करना चाहते हैं, वो हरिद्वार जायें और हज़ारा के इलाके के पण्डे को मिलें। उनसे हज़ारा की 1947 और पहले की वहियां देखें। सब बातें साफ़ हो जायेंगी।
* पोठोहार और सरायकी के सारे इलाक़ों में हिन्दू और सिख औरतें बहुत ख़ूबसूरत होती थीं। उनकी ख़ूबसूरती ही 1947 में उनकी बड़ी दुश्मन बन गयी थी। सबसे ज़्यादा हिन्दू और सिख लड़कियाँ और औरतें उन्हीं इलाक़ों से अग़वा कीं गईं थीं, जहाँ लड़कियाँ बड़ी ख़ूबसूरत होती थीं।