#ख़ून_से_लेंगे_पाकिस्तान ।
#पाकिस्तान_की_स्थापना ।
#हिन्दू_सिख_क़त्लेआम ।
मेहरबानी करके पूरी विडियो देखें/सुनें। इस विडियो के कुछ नुक्ते इस प्रकार हैं: –
* अमृतसर के दंगाइयों ने लाहौर के दंगाइयों को चूड़ियाँ और मेहंदी भेजी कि लाहौर के दंगाई और गुण्डे पूरे मर्द नहीं हैं क्योंकि उन्होंने लाहौर के हिन्दुओं और सिखों पर असरदार हमले नहीं किये।
* 21 जून को मोची गेट के बाहर एक बस को रोक कर 10 हिन्दू सिखों को चाकुओं से क़त्ल कर दिया गया। पूरे शहर में अलग-अलग जगहों पर कई और घरों और इमारतों को आग लगा दी गई। डब्बी बाज़ार में गुरुद्वारा बाउली साहिब पर भी हमला करके आग लगाने की कोशिश की गई।
* अगले दिन शाहलमी गेट लाहौर के सबसे बड़े और बिज़ी ट्रेडिंग सेंटर के तौर पर जाना जाता था। यहां के लगभग सभी बिज़नेस हिन्दुओं के ही थे। सरकारी अफ़सरान की शह पर दंगाइयों ने हिन्दुओं का यह ट्रेडिंग सेंटर राख के ढेर में बदल कर रख दिया। आग की लपटों से बचकर भाग रहे हिन्दुओं पर पुलिस ने कई बार फायरिंग की। हिन्दुओं की जायदाद और बिज़नेस का यह उस वक़्त तक का एक दिन में हुआ सबसे बड़ा नुक़सान था।
* जुलाई के महीने भी हिन्दुओं और सिखों पर हमले जारी रहे। मुगलपुरा रेलवे वर्कशॉप पर हमला करके दंगाइयों की एक बड़ी भीड़ ने बहुत सारे हिन्दू और सिख वर्कर्स को क़त्ल कर दिया। कई लोग ज़ख़्मी भी हुये। 23 जुलाई को मुगलपुरा रेलवे स्टेशन के पास एक ट्रेन को रोककर उसमें सवार 8 हिन्दुओं और सिखों को क़त्ल कर दिया गया। 12 हिन्दू और सिख ज़ख़्मी हुये।
* 6 हिन्दुओं और सिखों को लाहौर के अलग-अलग इलाक़ों में छुरे मार दिये गये। भाटी गेट के बाहर एक सिनेमा हाल में आग लगा दी गयी, जो किसी हिन्दू का था।
* सर फ़िरोज़ खान नून ने तो अप्रैल 1946 या उससे भी पहले ग़ैर-मुसलमानों पर चंगेज़ खान और हलाकु खान के किये क़त्लेआम दुहराने की बात तक भी कह दी थी, अगर ग़ैर-मुसलमान लोग आबादी के तबादले के ख़िलाफ़ रुकावट वाला रवैया रखेंगे।
* जब पंजाब में लाहौर, मुल्तान, रावलपिण्डी, अमृतसर, और दूसरे शहरों में एक साथ हिन्दुओं और सिखों का क़त्लेआम शुरू हुआ, तो मास्टर तारा सिंघ को समझ आ गई थी कि ये क़त्लेआम कौन लोग करा रहे हैं और क्यों करा रहे हैं। वह यह समझते थे कि अभी जिनकी हुकूमत आई ही नहीं, तब वो ऐसे क़त्लेआम कर रहे हैं, जब इनके पास पूरी हुकूमत आ जायेगी, तब यह क्या करेंगे।
* मास्टर तारा सिंघ ने नार्थ वेस्टर्न फ्रंटियर प्रोविंस और पंजाब के मुस्लिम मेजोरिटी वाले इलाक़ों के हिन्दुओं और सिखों को जितनी जल्दी हो सके, रावी दरिया पार करने के लिये कहना शुरू कर दिया। दूर-दूर के इलाकों में ऐसे संदेश भेजे गये। जुलाई के महीने तक हिन्दू और सिख बड़ी तादाद में रावी दरिया पार करके ईस्ट पंजाब में दाख़िल होने लगे।
* लाखों हिन्दू सिख refugees के crises के चलते 6 अगस्त 1947 को गान्धी जी लाहौर पहुँचे। गाँधी जी ने कांग्रेस वर्कर्स से ख़िताब करते हुये हिन्दुओं और सिखों को लाहौर छोड़कर न जाने को कहा। अमन-शान्ति का उपदेश देकर गान्धी जी 6 अगस्त की शाम को ही लाहौर से पटना के लिये रवाना हो गये।