#ख़ून_से_लेंगे_पाकिस्तान । #पाकिस्तान_की_स्थापना । #हिन्दू_सिख_क़त्लेआम ।
इस विडियो के ख़ास नुक्ते इस प्रकार हैं: –
* नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस की मिनिस्ट्री डॉक्टर ख़ान साहब की रहनुमाई में थी। डॉक्टर ख़ान साहिब सरहदी गान्धी ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ान साहिब के भाई थे। ये काँग्रेस में थे। ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार खान साहिब हमेशा ही हिन्दू-मुस्लिम unity के हक़ में रहे थे। एक लाख से भी ज़्यादा मुसलमान, ख़ास तौर पर पश्तून, ख़ान साहिब की खुदाई ख़िदमतगार मूवमेंट के मेम्बर थे। ब्रिटिश हुकूमत के ज़ुल्मों का सामना खुदाई खिदमतगारों ने पूरी शान्ति से किया था। ख़ान साहिब पाकिस्तान की मांग के सख़्त खिलाफ थे। वो नहीं चाहते थे कि यूनाइटेड इण्डिया का बटवारा करके पाकिस्तान बने। इससे भी हिन्दुओं और सिखों को यह यकीन था कि पाकिस्तान नहीं बनेगा। कम-अज़-कम उनकी जान-ओ-माल को कोई ख़तरा नहीं, ऐसा हज़ारा के हिन्दुओं और सिखों को लगता था।
* जिला हजारा के ऐसे कई पहाड़ी गांव थे, जो ऐबटाबाद, हरीपुर, या मानसेहरा से काफी दूर थे और वहां पर एक-एक, दो-दो, या ऐसे ही बहुत कम परिवार हिन्दुओं और सिखों के रहते थे। जाहिर था कि दूर-दराज के ऐसे गावों और बस्तियों में रह रहे हिन्दु और सिक्खों को बहुत बड़ा खतरा था। यह फैसला हुआ कि उनको वहां उनके गाँवों से निकालकर एबटाबाद ले आया जाए।
* ऐसे ही जब 12 दिसंबर 1946 को जबोड़ी-डाडर के कुछ हिन्दू और सिख परिवारों के लोगों को लारी के ज़रिये, बस के ज़रिये उनके गांव से निकालकर ऐबटाबाद की तरफ ले जाया जा रहा था, तो सुनकियारी से लगभग 5 मील की दूरी पर नदी के पुल पर बस को रोककर हिन्दुओं और सिखों को तेज़धार हथियारों से मारना शुरू कर दिया। उनका सारा माल असबाब लूट लिया गया। कुल 16 हिन्दु और सिख मर्द, औरतें और बच्चे बेरहमी से क़त्ल कर दिए गए और बाकी बहुत बुरी तरह से ज़ख्मी हुए।
* 19 दिसंबर 1946 को ढूढ़ियाल और जलो गाँवों पर जबरदस्त हमला किया गया। दोनों गाँवों में हिन्दु और सिख दुकानदारों को मार दिया गया। गांव के और हिन्दु और सिखों पर भी हमला किया गया। घरों को जला दिया गया और कई हिन्दु और सिख औरतों से जबरदस्ती की गई।
* मानसेरा तहसील के गांवों में हिन्दुओं और सिखों के क़त्ल के बाद ऐबटाबाद और आस-पास के गाँवों के हिन्दुओं और सिखों का एक डेपुटेशन डिप्टी कमिश्नर और SP को मिला और अपनी जान और माल की हिफाज़त की गारंटी मांगी और अगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती, तो वह हिन्दुओं और सिखों को अपनी हिफाजत खुद करने के लिए सरकारी हथियार दे।
* हवेलियां कसबे में मुस्लिम लीग और मुस्लिम लीग की नेशनल गार्ड वालों ने एक बहुत बड़ा जुलूस निकाला। यह जुलूस रेलवे स्टेशन पर पहुंच कर एक बहुत बड़े जलसे के रूप में बदल गया। इस जलसे को मुखातिब करते हुए लीग के कई लोकल रहनुमाओं, मज़हबी जनूनी जागीरदारों, और कट्टरपंथियों ने सूबे की डॉक्टर ख़ान साहिब की मिनिस्टरी की निंदा की। जो रहम दिल लोकल मुसलमान हिन्दुओं और सिखों की मदद कर रहे थे, जलसे में उनकी भी निन्दा की गई और उनके लिए बहुत भद्दे अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल किया। पंजाब में सिक्खों के हाथों मुसलमानों के मारे जाने की झूठी बातें लोगों को सुना सुना कर भड़काया गया, हालांकि दिसंबर 1946 और जनवरी 1947 में पंजाब में मुसलमानों पर हमले नहीं हुए थे। लोगों को भड़काया गया कि पंजाब से सिख आ रहे हैं और सरहदी सूबे पर हमला करेंगे और यहां के मुसलमानों को मारेंगे।
* इस तरह यह हवेलियाँ, झंगडा, राजोइया, गौड़ा, फुलगरां, दमदौड, बांडा, पीरकोट, पिपल, मुजाब, जाबा, मोहाड़ी, धणक-कड़छ, नारा, सतोड़ा, औगल, घगडोतर, मोहरी वडभैंन, दवाल, अखरूटा, नगरी मकोल, भजूर, लोरा, कुटल, घड़ागा, बजाड़ियां जैसे गांवों और मलाछ के इलाके में 7-8 बिखरी हुई बस्तियों में रहने वाले हिन्दुओं और सिखों पर ख़ूनी हमलों की शुरुआत थी। इन गावों में मोहाड़ी हमारा गाँव था।