#पाकिस्तान_की_स्थापना । #हिन्दू_मुसलमान_सिख । #मुस्लिम_लीग ।
मेहरबानी करके पूरी विडियो देखिये। इस विडियो में मुख्य नुक्ते इस प्रकार हैं: –
* 1921-1922 में हिन्दू महासभा के वी डी सावरकर ने एक लम्बा आर्टिकल The Essentials of Hindutva लिखा। इसमें सावरकर ने यह ख़्याल दिया कि सभी हिन्दू अपने-आप में एक नेशन हैं। उन्होंने ने जैनों, बौद्धों, और सिखों को भी हिन्दू नेशन माना। उन्होंने लिखा कि भारत सभी हिन्दुओं की पितृभूमि भी है और पुण्यभूमि भी। उन्होंने ने यह भी लिखा कि भारत मुसलमानों की पुण्यभूमि नहीं है और मुसलमानों की मज़हबी अक़ीदत भारत से बाहर मक्का की तरफ़ है। उन्होंने दलील पेश की कि भारत मुसलमानों की पुण्यभूमि न होने की वजह से मुस्लमान लोग हिन्दू नेशन नहीं हैं।
* 1924 में हिन्दू महासभा के ही एक रहनुमा लाला लाजपत राय के कुछ लेख The Tribune अख़बार में छपे। 14 दिसम्बर 1924 को छपे एक लेख में उन्होंने ने नार्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रोविन्स, पश्चिमी पँजाब, सिन्ध, और पूर्वी बंगाल को मुस्लिम स्टेट्स बनाने की स्कीम बताई। उन्होंने ने यह भी लिखा कि अगर भारत में कहीं और भी मुस्लमान इतनी तादाद में हों कि वो अलग प्रोविन्स बना सकें, तो वहां भी ऐसी मुस्लिम स्टेट बना दी जानी चाहिये। लाला लाजपत राय ने साफ़ तौर पर लिखा कि यह यूनाइटेड इण्डिया नहीं होगा। उन्होंने लिखा, “इसका मतलब है कि इण्डिया का मुस्लिम इण्डिया और नॉन-मुस्लिम इण्डिया में बंटवारा”।
* कई साल बाद जब आल इण्डिया मुस्लिम लीग ने अलग मुस्लिम देश की माँग रखी, तब 1940 में लाहौर में हुए आल इण्डिया मुस्लिम लीग के सैशन को ख़िताब करते हये मुहम्मद अली जिन्नाह ने अपनी इस बात को सही साबित करने के लिये कि हिन्दू-मुस्लिम यूनिटी, हिन्दू-मुस्लिम एकता नहीं हो सकती, सी आर दास को लिखे लाला लाजपत राय के ख़त के कुछ हिस्से पढ़ कर सुनाये।
* पंजाब में अकाली 1920 से गुरद्वारा आन्दोलन चला रहे थे। इण्डियन नेशनल कांग्रेस ने गुरद्वारा मूवमेंट की हिमायत की। कांग्रेस की नॉन-कोऑपरेशन मूवमेंट को अकालियों ने सहयोग दिया। फ़रवरी 1921 में जब ननकाना साहिब गुरद्वारे में 130 सिखों का क़त्ल -ए-आम हुआ, तो गाँधी जी भी वहां सिखों के ग़म में शरीक होने पहुंचे। एक जत्थे में पण्डित जवाहरलाल नेहरू भी सिखों के साथ ग्रिफ्तार हुये।
* 1925 तक ब्रिटिश सरकार सिखों की मांगें मानने पर मजबूर हो गयी थी और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमिटी बना कर इतिहासिक गुरद्वारों का प्रबन्ध सीधा सिखों को दे दिया गया। गुरद्वारों के सुधार के लिये चले इस संघर्ष में लगभग 400 सिख शहीद हुये और हज़ारों को जेल जाना पड़ा।
* मोहम्मद अली जिन्ना 1930 से 1934 तक वो इण्डिया से बाहर इंग्लैंड में रहे। बाद में उनके ख़ुद के ख़्यालात भी बदल गये और वो अलग मुस्लिम मेजोरिटी वाले मुल्क की मांग के हिमायती बन गये। आल इण्डिया मुस्लिम लीग के 1940 के लाहौर सैशन में जिन्नाह की तक़रीर पढ़ कर उनके बदले हुये ख़्यालात को जाना जा सकता है।
* 1933 में चौधरी रहमत अली का पैम्फलेट now or never छपा। इसमें यूनाइटेड इण्डिया को तोड़कर एक अलग मुस्लिम मुल्क़ बनाने की मांग थी।
* अब तक कांग्रेस के मेम्बरज़ को मुस्लिम लीग, हिन्दू महासभा, और आरएसएस के मेम्बर्स बनने की भी छूट थी। जून 1934 में काँग्रेस ने एक रेसोल्यूशन पास कर के अपने मेम्बर्स पर यह पाबन्दी लगा दी कि वो आरएसएस, हिन्दू महासभा, और मुस्लिम लीग के मेम्बर नहीं बन सकते।