एक मां को बिछड़ा बेटा मिल गया और एक बेटे को बिछड़ी मां मिल गयी। पढ़ कर भावुक हो गया हूँ। हज़ारों बच्चे अपने मां बाप से बिछड़े, पर उनमें से बहुत फिर कभी मिल नही पाये। गणेश को बहुत बधाई कि अंततः वह अपनी मां के चरणों तक पहुँच पाया। फिर भी, मैं यह महसूस कर सकता हूँ कि २३ साल तक अपने आप को ‘अनाथ’ समझ कर जीना उसे कैसे लगा होगा।
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