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Amrit World’s Video Blog… This vlog by Amrit Pal Singh ‘Amrit’ presents videos in English, Punjabi, Hindi (or simple Urdu)…

Mautai Da Banna – ਮਉਤੈ ਦਾ ਬੰਨਾ (Punjabi Video)

ਫਰੀਦਾ ਮਉਤੈ ਦਾ ਬੰਨਾ ਏਵੈ ਦਿਸੈ ਜਿਉ ਦਰੀਆਵੈ ਢਾਹਾ ॥
ਅਗੈ ਦੋਜਕੁ ਤਪਿਆ ਸੁਣੀਐ ਹੂਲ ਪਵੈ ਕਾਹਾਹਾ ॥
ਇਕਨਾ ਨੋ ਸਭ ਸੋਝੀ ਆਈ ਇਕਿ ਫਿਰਦੇ ਵੇਪਰਵਾਹਾ ॥
ਅਮਲ ਜਿ ਕੀਤਿਆ ਦੁਨੀ ਵਿਚਿ ਸੇ ਦਰਗਹ ਓਗਾਹਾ ॥੯੮॥

Hindi Video – उजलु कैहा चिलकणा – Kuchh Log Kabhi Sudharate Nhi

कुछ लोग इतने कपटी होते हैं कि उन के सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं होती। उनको कितना भी उपदेश कर लो, वे कभी नहीं सुधरते। ऐसे लोग कांसे की तरह होते हैं, जिसको कितना भी धो लो, वह कालिख छोडना बन्द नहीं करता।

उजलु कैहा चिलकणा घोटिम कालड़ी मसु ॥
धोतिआ जूठि न उतरै जे सउ धोवा तिसु ॥१॥
(७२९, श्री गुरु ग्रन्थ साहिब)।

आधुनिक दुर्योधन, दु:शासन, और कर्ण

(अमृत पाल ‘सिंघ’ अमृत)

दुर्योधन ने अपने मामा शकुनि की सहायता से युधिष्ठिर को छल से जुए में हरा दिया था। युधिष्ठिर की भी बुद्धि फिर गयी और उसने अपनी पत्नी द्रौपदी को भी जुए के लिए दाँव पर लगा दिया। शकुनि ने पाँसा फेंका और युधिष्ठिर जुए में द्रौपदी को भी हार गया।

उसके बाद राजा धृतराष्ट्र की उस सभा में जो हुया, उसका ज़िक्र करने में ज़ुबान थरथर्राने लगती है। उस बे-हद शर्मनाक घटना को लिखते-लिखते कलम भी कांपने लगती है।

सत्ता का, सियासी ताक़त का नशा, और हर तरह के नशे से बढ़कर होता है। और जो सियासी ताक़त के क़ाबिल न हो, उसको अगर सियासी ताक़त मिल जाये, फिर तो उस से बढ़कर कोई दुराचारी और पापी नही होता। रावण तो सिर्फ एक उदाहरण है सियासी ताक़त के नशे में पागल हुये ऐसे दुराचारियों की।

दुर्योधन शायद रावण से भी बढ़कर कोई काम करने पर उतरा हुया था। सियासी ताक़त के नशे में चूर दुर्योधन ने हुक्म दिया कि पांचाली द्रौपदी को भरी सभा में पेश किया जाये।

दुर्योधन रिश्ते में द्रौपदी का देवर ही तो था। हाँ, यह बात अलग है कि उस सभा में कोई लक्ष्मण सा देवर न था। लक्ष्मण कोई हर युग में ही पैदा होते हों, ऐसा तो नहीं है न। पैदा हो भी जायें, तो लक्ष्मण कभी ऐसी निर्लज सभा में तो नहीं बैठेंगे। दशरथ की सभा हो या राम का दरबार हो, तो लक्ष्मण हो सकते हैं वहाँ। पर धृतराष्ट्र के दरबार में लक्ष्मण नहीं होते। दुर्योधन जैसों की राज-भक्ति कम-अज़-कम लक्ष्मण जैसे धर्मवीर तो नहीं कर सकते।

दुष्ट नीच को राजसत्ता का संरक्षण मिल चुका है। अब वह रिश्ते में अपनी ही भाभी को भरे दरबार में नंगा करने का हुकुम दे डालता है।

बादशाह अन्धा हो, तो कोई बात नहीं, पर अगर उसकी अक्ल पर पर्दा पड़ जाये, तो पूरे राष्ट्र की तबाही की संभावना हो जाती है। अपने रिश्तेदारों, अहलकारों, और समर्थकों को अगर वह पाप से नहीं रोकता, तो उसके वे पापी रिश्तेदार, अहलकार, और समर्थक तो तबाह होंगे ही, साथ में अपने राष्ट्र को भी तबाही की कगार पर ला खड़ा करेंगे।

पुत्र-मोह में अन्धे हुये धृतराष्ट्र को उस वक़्त यह ख़्याल तक न होगा कि उसकी अपनी हुकूमत की तबाही का बीज बोया जा रहा था। धृतराष्ट्र का बेटा और दुर्योधन का भाई दु:शासन द्रौपदी को केशों से पकड़ कर राजा की उस भरी सभा में घसीटता हुया लाया। उस वक़्त द्रौपदी सिर्फ एक ही कपड़े में थी। उसको उस राजा की सभा में ऐसे ही घसीटते हुये लाया गया, जो राजा उस का रिश्ते में ससुर भी लगता था। तथाकथित शूरवीरों की उस भरी सभा में उसके अपने ही रिश्तेदार और बज़ुर्ग थे ससुराल की ओर से। राजा की वह सभा उस के ससुरालियों की सभा ही तो थी।

सियासी ताक़त के बुरे नतीजे का चिन्ह बन चुके दुर्योधन ने हुकुम दे डाला कि द्रौपदी को भरी सभा में नंगा कर दो।

भाई गुरदास जी ने लिखा है:

अंदर सभा दुसासनै मथै वाल द्रौपती आंदी॥
दूतां नो फुरमाइआ नंगी करहु पंचाली बाँदी॥ (पउड़ी ८, वार १०)।

युधिष्ठिर ने जुआ खेला और जुए में द्रौपदी हार दी थी, तो क्या अब द्रौपदी यूर्योधन और उसके भाइयों की भाभी न रही थी? क्या अब धृतराष्ट्र उसका ससुर न रहा था? क्या देवव्रत भीष्म अब द्रौपदी के दादा-ससुर न रहा था?

युधिष्ठिर ने जुए में अपनी पत्नी को खो दिया था? या, धृतराष्ट्र ने जुआ खेला और अपनी बहू को खो दिया था?

बूढ़ा हुआ देवव्रत भीष्म उस वक़्त द्रौपदी के सवालों का जवाब देते-देते “धर्म” को ही मज़ाक का विषय बना डालता है।
महाभारत ग्रंथ में पढ़ना देवव्रत का धर्म पर उस वक़्त दिया गया व्याख्यान।

आख़िर, द्रौपदी की रक्षा हुई, पर उसकी रक्षा किसी राजा धृतराष्ट्र ने नहीं की। द्रौपदी की रक्षा हुई, पर वह रक्षा कुल-पुरोहित कृपाचार्य ने नहीं की। द्रौपदी की रक्षा हुई, पर उस की रक्षा शस्त्रधारी योद्धा द्रोण या अश्वथामा ने नहीं की। द्रौपदी की रक्षा हुई, पर उसकी रक्षा अम्बा, अंबिका और अंबालिका का अपहरण करने वाले देवव्रत भीष्म ने नहीं की।

ये क्या रक्षा करते? इनको तो यह भी नहीं पता होगा कि राष्ट्र-भक्ति और राज-भक्ति में बहुत फ़र्क होता है। यह तो राज-धर्म भूल चुके धृतराष्ट्र और पापी दुर्योधन के हुकुम मानने को ही राष्ट्रवाद समझ रहे होंगे। ख़ुद को राष्ट्रवादी होने का दिखावा करते-करते अपनी आँखों के सामने एक अबला का अपमान होते देख कर भी उसको रोकने का कोई कारगर तरीक़ा का ढूंढ पाये।

राष्ट्र के हित की बात तो यही होती कि दुष्ट राजा और उसके अहलकारों को सियासी ताक़त से महरूम कर दिया जाता। बाद में भी तो युद्ध के मैदान में दुर्योधन और उसकी दुष्ट चौकड़ी को मारना ही पड़ा।

लेकिन, एक दुर्योधन मर गया, तो इस का मतलब नहीं कि दुर्योधन फिर कभी पैदा नहीं हुया। अपने आस-पास देखोगे, तो पाओगे कि दुर्योधन अभी भी भेस बदल कर यहाँ-तहां घूमता रहता है। सियासी ताक़त के नशे में झूमते कई दुर्योधन कभी-कभी अख़बारों की सुर्खियां भी बन जाते हैं, हालांकि ज़्यादातर उनके पापों की चर्चा होती ही नहीं है।

दिल्ली में “निर्भया” बलात्कार काण्ड करने वाले आज के दौर के दुर्योधन ही तो हैं। वह बेचारी भी तो किसी की बेटी थी। उन नीच बलात्कारियों के साथ हमदर्दी रखने वाले कौन हैं? वे सब दुर्योधन के भाई आधुनिक दु:शासन और दुर्योधन के दोस्त आधुनिक कर्ण ही तो हैं।

छोटे-मोटे दुर्योधन तो सोश्ल-मीडिया पर भी बहुत मिल जाते हैं। किसी भी लड़की की फोटो किसी सोश्ल-मीडिया वेबसाइट पर डाली और बदनाम करना शुरू। द्रौपदी भी किसी की बेटी, किसी की बहन, किसी की पत्नी, और किसी की माँ थी। आज का दुर्योधन इंटरनेट पर जिस लड़की को बे-वजह बदनाम करता है, वह भी किसी की बेटी और किसी की बहन होती है। अक्ल के अन्धे ऐसे बहुत दुर्योधन तो इतनी हिम्मत भी नहीं जुटा पाते कि अपनी असल पहचान ही बता सकें। कभी वह किसी लड़की की प्रोफ़ाइल के पीछे छिपे हुये मिलते हैं, तो कभी राष्ट्रवाद या धर्म का मुखौटा पहने पाये जाते हैं। दिखावे के धर्म-कर्म के काम दुर्योधन क्या नहीं करता था?

आधुनिक दौर में तो ऐसे दुर्योधन भी बैठे हैं, जो मर चुकी औरतों के चरित्र पर भी कीचड़ उछालने में संकोच नहीं करते। जब ऐसे दुष्टों के मुखौटे उतरेंगे, तो उनके असली चेहरे बहुत ही भद्दे निकलेंगे।

आधुनिक दुर्योधन और उनके दु:शासन और कर्ण यह भी जान लें कि दुर्योधन और उसकी दुष्ट मंडली का क्या हुआ? गुरु ग्रंथ साहिब जी में भक्त नामदेव जी का शब्द है: –

मेरी मेरी कैरउ करते दुरजोधन से भाई ॥ बारह जोजन छत्रु चलै था देही गिरझन खाई ॥२॥

(६९३, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी)।

युद्ध के मैदान में दुर्योधन का मान तोड़ ही दिया गया था। भक्त कबीर साहिब का फुरमान है:

दुरजोधन का मथिआ मानु ॥७॥

(११६३, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी)।

‘ਜਦੋਂ ਉਹ ਪਰਤਣਗੇ’ – ਕਵਿਤਾ- (ਆਡੀਉ/ਵੀਡੀਉ) Punjabi Poem

Here is the audio/video of Amrit Pal Singh ‘Amrit’s Punjabi poem ‘Jadon Oh Paratange‘..

ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਪਾਲ ਸਿੰਘ ‘ਅੰਮ੍ਰਿਤ’ ਦੀ ਪੰਜਾਬੀ ਕਵਿਤਾ ‘ਜਦੋਂ ਉਹ ਪਰਤਣਗੇ‘ ਦੀ ਆਡੀਉ/ਵੀਡੀਉ…