(स्वामी) अमृत पाल सिंघ ‘अमृत’ की हिन्दी कविता
(ਸੁਆਮੀ) ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਪਾਲ ਸਿੰਘ ‘ਅੰਮ੍ਰਿਤ’ ਦੀ ਪੰਜਾਬੀ ਕਵਿਤਾ ‘ਹੱਸਦੀਆਂ ਅੱਖਾਂ’:
#कविता
कहाँ रखूँ मैं अपनी बेटी छुपाकर (कविता) Kahan Rakhun Main Apni Beti Chhupakar
छोटी-छोटी बच्चियों के बलात्कारों की ख़बरें अक्सर ही अख़बारों में आती रहती हैं। पढ़ कर दिल बहुत दुखी हो जाता है।
17 अगस्त, 2017 को एक दस साल की बच्ची ने चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक बेटी को
जन्म दिया। यह दस साल की बच्ची अपने एक नज़दीकी रिश्तेदार की हवस का कई बार शिकार बनी थी, जिसके नतीजे में यह प्रेग्नेंट हो गयी।
इसके बाद मैंने कुछ पँक्तियाँ लिखी हैं, जो मेरे दिल की भावनाओं को व्यक्त करती हैं। हालांकि मैं ख़ुद तो औलाद वाला नहीं हूँ, लेकिन सभी बेटियाँ मुझे अपनी ही बेटियाँ लगती हैं।
दस साल की इस बच्ची ने जिस बेटी को जन्म दिया है, उसको उस बच्ची और उसके परिवार ने देखा तक भी नहीं और त्याग दिया है। उस नई पैदा हुई बेटी के लिये भी मैंने अलग से कुछ पँक्तियाँ लिखी हैं, लेकिन वे मैं किसी और दिन सुनाऊँगा।
कहाँ रखूँ मैं अपनी बेटी छुपाकर?
ख़ुदा मेरे मुझको बता दो यह आकर।
कब तक सूनी राह पे
चलता जाऊँगा मैं?
ख़ून में भीगा गीत यह
कब तक गाऊंगा मैं?
Video length: 02:37 minutes
Here is the audio/video of Amrit Pal Singh ‘Amrit’s Punjabi poem ‘Jadon Oh Paratange‘..
ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਪਾਲ ਸਿੰਘ ‘ਅੰਮ੍ਰਿਤ’ ਦੀ ਪੰਜਾਬੀ ਕਵਿਤਾ ‘ਜਦੋਂ ਉਹ ਪਰਤਣਗੇ‘ ਦੀ ਆਡੀਉ/ਵੀਡੀਉ…
ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਪਾਲ ਸਿੰਘ ‘ਅੰਮ੍ਰਿਤ’ ਦੀ ਪੰਜਾਬੀ ਕਵਿਤਾ ‘ਇਸ਼ਕ’:
مزہ ہی سی
امرت پال سنگھ امرت
آرے نال دو-پھاڑ ہو جان دی اس نوں ملی سزا ہی سی ۔
متی داس جہے عاشق لئی پر اس وچّ وی مزہ ہی سی ۔
اوہ میرا قتل سی، ایہہ گلّ بڑی مگروں سمجھ آئی،
میرے بھانے تاں اس سوہنے دی ایہہ کوئی ادا ہی سی ۔
میرا خط پڑھ سکے نہ اوہ، تاں اس وچّ دوش نہ اسدا،
دل ٹکڑا سی کاغذ دا، لہو میرا سیاہی سی ۔
دھرم تاں خون وچّ رچیا اوہناں دے، ویکھ لؤ بھانویں،
کسے نے مندر ڈھاہیا سی، کسے نے مسجد ڈھاہی سی ۔
لبھن تریا ساں جسنوں، اوہ میرے اندر سی موجود،
میں جنگل چھان مارے سن، میں ساری دنیاں گاہی سی ۔
شہراں دے شہر قبرستان بن گئے کجھ پلاں اندر،
کمبنا دھرتی دا اداں وی تاں ربّ دی رضا ہی سی ۔
Kashmkash
(Amrit Pal Singh ‘Amrit‘)
Saahaan Deeaan Eh Taanaan
Hor Lagaavaan Ke Na?
Be-Maayani Jehe Geet Lammere
Gaavaan Ke Na?Is Nagaree Vich Hun
Jee Bilkul Lagda Naheenyo
Sabh Kujh Chhadd Ke
Door-Durede Jaavaan Ke Na?Mann Da Panchhee
Is Vich Phasda Ja Reha Ae
Foke Rishtiaan Da Eh Jaal
Hataavaan Ke Na?Tak Ke Raah Da Patthar
Socheen Pai Geaa Haan,
Is Noon Sijda Kar Ke
Khuda Banaavaan Ke Na?Kee Pataa Oh Aaye
Jaan Phir Na Hee Aaye,
Kar Ke Sainat Us Noon
Kol Bulaavaan Ke Na?Ese Kashmkash ‘Ch
Zindgee Beetee ‘Amrit‘
Us Noon Aapne Dil Da Haal
Sunaavaan Ke Na?